Sunday, May 8, 2011

खूनी कट्टरपंथ

‘सवाल यह है कि पाकिस्तान किस तरह का समाज बनना चाहता है’- इस्लामाबाद स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त ने यह सटीक टिप्पणी पाकिस्तान के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शाहबाज भट्टी की हत्या के बाद की। 4 जनवरी को पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर और अब भट्टी की हत्या ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों ने एक किस्म का सामाजिक आपातकाल थोप रखा है। इस आपातकाल में किसी को कोई उदार सोच रखने की इजाजत नहीं है। शहबाज भट्टी का अपराध यह था कि वे पाकिस्तान की सरकार में अकेले ईसाई मंत्री थे और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद शेरी रहमान की तरफ से ईशनिंदा कानून में संशोधन के लिए पेश विधेयक का समर्थन कर रहे थे। भट्टी ने खुलेआम अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई थी। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार अपने एक मंत्री की रक्षा नहीं कर पाई, तो समझा जा सकता है कि हालात कितने गंभीर हैं। इससे यह खतरा लगातार ज्यादा वास्तविक होता जा रहा है कि एक दिन कट्टरपंथी ताकतें पाकिस्तान के सत्ता तंत्र पर काबिज हो जाएंगी।

एक परमाणु हथियार संपन्न देश में ऐसा होना पड़ोसी देशों और पूरी दुनिया के लिए क्या मतलब रखता है, इसे आसानी से समझा जा सकता है। यह खतरा इसलिए पैदा हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान के सत्ता तंत्र ने कट्टरपंथ और उग्रवाद के माध्यम से सामरिक एवं रणनीतिक मकसदों को पूरा करने का खतरनाक खेल खेला, जो अब पलटकर खुद उसके गले पड़ गया है। जाहिर है, कट्टरपंथी तत्व लोकतंत्र एवं उदार समाज की स्थापना नहीं होने देना चाहते और जो भी ऐसे समाज की वकालत करता है, उससे निपटने का वे सिर्फ एक ही तरीका जानते हैं। पाकिस्तान की उदारवादी ताकतें इस दुश्चक्र से निकलने का रास्ता नहीं ढूंढ़ पा रही हैं। यह भारत और तमाम दुनिया के लिए गहरी चिंता का विषय है।

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