लंबी है भारत के लादेनों की लिस्ट
अमेरिका ने भले ही अपने सबसे बड़े दुश्मन ओसामा बिल लादेन से बदला ले लिया हो, लेकिन अपने दुश्मनों से बदला लेने और उन्हें सबक सिखाने के मामले में भारत अभी बहुत पीछे है। अमेरिका ने चाहे वो पूर्व इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन हो या आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन, जिससे बदला लेने की ठानी उसे मौत के घाट उतार दिया।
वहीं इस मामले में भारत अपने दुश्मनों को मारना तो दूर पकड़ भी नहीं पा रहा है और जिसको पकड़ा है उसकी सरकारी मेहमानों की तरह मेहमान नवाजी कर रहा है। भारत अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहीम को पकड़ नहीं पा रहा है और कसाब को पकड़ा भी है तो वो सालों से सरकारी मेहमान बनकर बैठा हुआ है।
prahari कुछ ऐसे ही मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों और आतंकियों के बारे में बता रहा है, जिन्होंने भारत को बहुत जख्म दिए हैं, लेकिन फिर भी अब तक उनके खिलाफ वैसा एक्शन नहीं लिया गया, जैसा लेना चाहिए था।
दाऊद इब्राहीम
पूरा नाम शेख दाऊद इब्राहीम कासकर है। भारत के साथ-साथ अमेरिका ने भी उसे और उसकी डी कंपनी को एक आपराधिक और आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। भारत दाऊद को पकडऩा चाहता है। दाऊद इब्राहीम संगठित अपराध, धोखा-धड़ी और अल-कायदा के साथ संबंधों के कारण इंटरपोल की भी वॉन्टेड लिस्ट में है। १९९३ में श्रृंखलाबद्ध धमाकों के बाद से भारत को दाऊद इब्राहीम की तलाश है। इन धमाकों में २५० से अधिक लोग मारे गए थे और ७०० से ज्यादा लोग घायल हुए थे। भारत पाकिस्तान से दाऊद के प्रत्यर्पण को लेकर कई बार चर्चा कर चुका है। पाक हर बार दाऊद के पाकिस्तान में न होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेता है। दाऊद के खिलाफ सभी सबूतों के होने के बाद भी भारत आज तक उसकी गिरफ्तारी का इंतजार कर रहा है।
१८ वर्षों से भारत के सबसे वांछित अपराधी दाऊद इब्राहीम के संगठन में पांच हजार अपराधी शामिल हैं, जिसे डी कंपनी के नाम से जाना जाता है। नशीले पदार्थ की तस्करी से लेकर भाड़े पर हत्या तक सभी तरह के संगठित अपराध में वह शामिल रहा है। दाऊद का यह धंधा भारत, पाक और संयुक्त अरब अमीरात में फैला है। उसका अल-कायदा व लश्कर-ए-तोइबा से भी संबंध है। माना जाता है कि दाऊद पिछले कई सालों से पाकिस्तान में रह रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस मामले में कभी भारत के साथ नजर नहीं आया। माना जाता है कि १९९३ के धमाकों के थोड़े समय पहले दाऊद दुबई से कराची चला गया था और वहीं रहने लगा था। उसकी कुल संपत्ति ६-७ बिलियन डॉलर है और उसे विश्व इतिहास में तीसरा सबसे अमीर अपराधी माना जाता है।
टाइगर मेमन
दाऊद इब्राहीम के ही गैंग का इब्राहीम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक नदीम मेमन अपराध की दुनिया में टाइगर मेमन के नाम से जाना जाता है। मुंबई में १९९३ में हुए बम धमाकों के लिए भारत को उसकी भी तलाश है। टाइगर इंटरपोल और सीबीआई की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में है। उसे दाऊद इब्राहीम का सबसे खास आदमी माना जाता है। मुंबई ब्लास्ट की सुनवाई कर रही स्पेशल टाडा कोर्ट ने टाइगर मेमन को मुख्य अभियुक्त माना है। इसके अलावा उसके परिवार के चार अन्य लोगों को भी कोर्ट ने दोषी पाया है। इसके छोटे भाई याकूब मेमन को इस मामले में मौत की सजा मिली है। टाइगर मेमन २००३ में कराची में था। कहा जाता है कि २००६ में उसने दुबई में एक रेस्टोरेंट खोला था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि टाइगर २०१० में कराची में था और आईएसआई के लिए काम कर रहा था। हालांकि पाकिस्तान इस बात से इंकार कर चुका है।
मौलाना मसूद अजहर
मौलान मसूद अजहर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक है। भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण मसूद अजहर भी भारत की मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की सूची में है। १९९४ में मसूद अजहर श्रीनगर आया था, जहां से उसे गिरफ्तार किया गया था। १९९५ में अल-फरहान नाम के संगठन ने जम्मू कश्मीर में कुछ विदेशी सैलानियों का अपहरण कर लिया था और मसूद अजहर की रिहाई की मांग कर रहे थे। हालांकि वे असफल हुए थे। इसके बाद १९९९ में इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को हाईजैक करके आतंकियों ने भारत सरकार से मसूद अजहर को छुड़वा लिया था। २००१ में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद पाक ने अजहर को एक साल के लिए घर में नजरबंद किया था, लेकिन कोई खास एक्शन नहीं लिया गया। इसके बाद १४ दिसंबर २००२ को लाहौर हाईकोर्ट ने नजरबंद के आदेश हटा लिए।
अजमल कसाब
वैसे तो तमाम आतंकी ऐसे हैं जिनकी तलाश भारत सरकार को है, लेकिन कुछ आतंकी ऐसे भी हैं, जो हैं तो भारत सरकार के कब्जे में, लेकिन सरकारी मेहमान बन कर बैठे हुए हैं। ऐसे ही भारत सरकार का एक सरकारी मेहमान है २००८ में हुए मुुंबई हमलों का प्रमुख आरोपी अजमल आमिर कसाब। कसाब पिछले ढाई साल से जेल में बंद है। उसे विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई हुई है, लेकिन भारतीय न्यायिक व्यवस्था के कारण ऊपर अपील करने का अधिकार है। कसाब पिछले साल सजा पाने तक जेल में अपने डेढ़ साल के दौरान ही अपने ऊपर ३१ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करा चुका है। एक तो उस पर पैसे खर्च हो रहे हैं, वहीं उस पर ८६ आरोपों के बावजूद अब तक मुंबई हमलों के पीडि़तों को न्याय नहीं मिल पाया है। पूरे देश को कसाब की फांसी का इंतजार है। हालांकि किसी को नहीं पता कसाब को फांसी कब होगी, और होगी भी नहीं।
अफजल गुरु
२००१ में भारतीय संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को सुप्रीम कोर्ट ने २००४ में मौत की सजा सुना दी थी। अफजल को २० अक्टूबर २००६ को फांसी होनी थी। अफजल ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दी थी, जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। संसद पर हुए इस हमले में एक महिला समेत सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि हमला करने वाले लोगों का कुछ पता नहीं चल पाया था। आतंकियों के आईकार्ड पर लिखे अफजल के मोबाइल नंबर के आधार पर इस मामले की सुनवाई हुई थी। अफजल की दया यचिका पर विचार करने के लिए कई मानव अधिकार संगठन और कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां सरकार पर दबाव बना चुकी हैं। इनका कहना है कि अफजल के साथ सही ट्रायल नहीं हुआ है। विपक्ष अफजल की फांसी को लगातार मुद्दा बनाकर घेरता आ रहा है, लेकिन सरकार अफजल को सरकारी मेहमान बनाए बैठी है।
इनका भी है इंतजार |
इन बड़े आतंकियो और अपराधियों के अलावा भी कई ऐसे बड़े आतंकी हैं, जिनका भारत को लंबे समय से इंतजार है। इसमें सबसे पहला नंबर मुंबई हमलों के आरोपी डेविड कोलमैन हेडली का है। अमेरिका की जेल में बंद हेडली से भारत आज-तक कोई खास बातचीत नहीं कर पाया है। इसी तरह हाफिज सईद, टाइगर मेमन का भाई अयूब मेमन, छोटा शकील, शाहिद अख्तर सईद, इब्राहीम अतहर आदि ऐसे अपराधी और आतंकी हैं, जिसकी भारत सरकार को लंबे समय से तलाश है। इसके अलावा खालिस्तान आंदोलन से जुड़े कई बड़े आरोपी भी आज तक कानून की पकड़ से बाहर हैं। |
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