Sunday, May 8, 2011

इतिहास में गुम हुए संघर्ष

पोरस अपनी हिम्मत और बहादुरी के लिए विख्यात था। जब सिकंदर हिंदुस्तान आया और जेहलम के समीप पोरस के साथ उसका संघर्ष हुआ, तब पोरस को खुखरायनों का भरपूर समर्थन मिला था। इस तरह पोरस, जो स्वयं सभरवाल उपजाति का था और खुखरायन जाति समूह का एक हिस्सा था, उनका नेता बन गया।

खुखरायन, पंजाबी खत्रियों का एक जाति समूह है। इसमें कोहली (प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरन कौर कोहली हैं), साहनी, चड्ढा, आनंद, सभरवाल आदि उपजातियां होती हैं। इनके अलावा संभवत: इन्हीं से संबंधित कुछ अन्य उपजातियां भी हैं, जिनके लोग उनके साथ वैवाहिक संबंध निर्मित करना पसंद करते हैं। मैं खुखरायन जाति समूह के कई लोगों को जानता हूं, लेकिन उनमें से किसी को भी यह पता नहीं था कि खुखरायन शब्द कब और कैसे अस्तित्व में आया। मुझे इस सवाल का जवाब हाल ही में एक किताब में मिला। यह किताब आईपी आनंद की आत्मकथा ए क्रूसेडर्स सेंचुरी : इन परस्यूट ऑफ एथिकल वेल्यूज (केडब्ल्यू प्रकाशन से प्रकाशित) है। वे लिखते हैं, ‘सदियों पहले आर्यो ने दक्कन की ओर चलना शुरू किया था। पोरस के जमाने से ही बलूचिस्तान और अफगानिस्तान के मध्य स्थित खोखर रियासत की कुछ जातियां भी दक्कन की ओर यात्राएं करती रही थीं। इनके वंशज खुखरायन कहलाए। पोरस का साम्राज्य जेहलम और चिनाब नदियों के बीच स्थित था। इस क्षेत्र में रहने वाले खोखरों ने राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान की हत्या का बदला लेने के लिए मुहम्मद गोरी को मौत के घाट उतार दिया था। पृथ्वीराज चौहान १२वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतीय इतिहास के एक बेहद महत्वपूर्ण व्यक्ति थे।

‘पोरस अपनी बहादुरी के लिए विख्यात था। उसने उन सभी के समर्थन से अपने साम्राज्य का निर्माण किया था, जिन्होंने खुखरायनों पर उसके नेतृत्व को स्वीकार कर लिया था। जब सिकंदर हिंदुस्तान आया और जेहलम के समीप पोरस के साथ उसका संघर्ष हुआ, तब पोरस को खुखरायनों का भरपूर समर्थन मिला था। इस तरह पोरस, जो स्वयं सभरवाल उपजाति का था और खुखरायन जाति समूह का एक हिस्सा था, उनका नेता बन गया।’ इस पुस्तक के लेखक आईपी आनंद थापर ग्रुप ऑफ कंपनीज में शामिल हुए और उसकी बहुआयामी इंटरप्राइजों के मुख्य प्रवक्ता बने। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने जेल यात्राएं भी की हैं। इसी दौरान वे कई कांग्रेसी नेताओं के साथ ही जयप्रकाश नारायण के भी संपर्क में आए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के साथ भी काम किया है। आईपी आनंद बहुत अच्छी समझ रखते हैं और वे चाहते हैं कि अपनी इस समझ को वे अपने पाठकों के साथ साझा करें।

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हमारे सम्माननीय राजनेता :
चुनाव के दौरान
हमारे सम्माननीय राजनेता
फूलमालाओं से जोरदार स्वागत के बाद
भीड़भाड़ के बीच
ढोल-नगाड़ों-पटाखों
लाउडस्पीकर के संगीत
और अन्य चीजों की
ध्वनि का आनंद उठाते
दृढ़तापूर्वक सड़क पर चहलकदमी करते हैं।
जुड़े हाथों और सम्मोहक विनम्रता के साथ
हर दरवाजे को खटखटाते हैं
छद्म मुस्कराहटों के साथ मांगते हैं वोट
और उसके बाद चुपचाप अपना सामान समेटते हैं
फिर उनकी कोई खैर-खबर नहीं मिलती।
यदि वे चुनाव जीत जाएं तो तय है कि इसके बाद
अगले चुनाव में ही नमूदार होंगे।
(सौजन्य : सीजे जॉर्ज, पोएट्स इंटरनेशनल, बेंगलुरू)

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पुरुषों के जीवन के विभिन्न चरण :
सगाई के बाद : सुपरमैन
शादी के बाद : जेंटलमैन
दस साल बाद : वॉचमैन
बीस साल बाद : डॉबरमैन

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हर मां के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ होता है।
हर पुरुष के लिए पड़ोसी की पत्नी सर्वश्रेष्ठ होती है।

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एक व्यक्ति, जिसका जल्द ही विवाह होने वाला था, एक बुकस्टोर पर सेल्सगर्ल से पूछता है : क्या आपके यहां कोई ऐसी किताब है, जिसका शीर्षक हो ‘मैन, द मास्टर ऑफ वुमन’?
सेल्सगर्ल ने जवाब दिया : फिक्शन का सेक्शन दूसरी तरफ है सर!

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दुनिया की सबसे पतली किताब में केवल एक ही शब्द होगा : ‘सबकुछ’।
और किताब का शीर्षक होगा : ‘महिलाएं क्या चाहती हैं?’

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जो व्यक्ति गलत होने पर समर्पण कर दे, वह ईमानदार है।
जो सुनिश्चित नहीं होने पर समर्पण कर दे, वह समझदार है।
जो सही होने के बावजूद समर्पण कर दे, वह पति है।

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एक व्यक्ति को टेलीग्राम मिलता है : आपकी पत्नी की मृत्यु हो गई है। उन्हें दफनाया जाए या दाह संस्कार किया जाए?
व्यक्ति ने जवाब दिया : उसके साथ कोई भी चांस न लें। पहले दाह संस्कार करें और फिर राख को दफना दें।

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एक महिला अपनी नौकरानी से : मुझे शक है कि मेरे पति का अपनी सेक्रेटरी के साथ अफेयर है।
नौकरानी : मुझे पता है, आप मुझे जलाने के लिए ऐसा कह रही हैं।

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जीवन का तथ्य : एक महिला आपको जन्म देती है, तब आप रो रहे होते हैं। दूसरी महिला यह सुनिश्चित करती है कि आप जीवन भर आंसू बहाते रहें।

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सवाल : कानून दूसरा विवाह करने की अनुमति क्यों नहीं देता?
जवाब : क्योंकि कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति को एक ही गुनाह के लिए दो बार सजा नहीं दी जा सकती।
(सौजन्य : विपिन बख्शी, नई दिल्ली)

खुशवंत सिंह लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं।

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