Sunday, May 8, 2011
घोटाले की गहरी जड़ें
आप दस हजार मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर हों और आपको पता चले कि जिस विमान से आप यात्रा कर रहे हैं, उसे कोई फर्जी पायलट उड़ा रहा है, तो शायद घबराहट में दुआ मांगने के अलावा और कोई चारा आपके पास नहीं रह जाएगा। फर्जी पायलटों का घोटाला दरअसल उससे कहीं ज्यादा बड़े पैमाने पर फैला हुआ है, जितना कुछ समय पहले एक महिला पायलट द्वारा एक विमान को गलत ढंग से उतारने के बाद इसके सामने आने पर सोचा गया था। तब नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने तमाम पायलटों की जांच कराने का फैसला किया था। अभी सिर्फ एक तिहाई पायलटों की जांच हुई है और यह साफ हो गया है कि यह इक्का-दुक्का मामला नहीं, बल्कि सुनियोजित घोटाला है। कई पायलट फर्जी पाए जा चुके हैं। घोटाले में सहयोगी बनने के आरोप में डीजीसीए के कई अधिकारी, दलाल और फ्लाइंग स्कूलों के नुमाइंदे जेल में हैं। जांच में जुटे सीबीआई और पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फर्जी पायलटों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है। गौरतलब है कि भारत में साढ़े चार हजार पायलट हैं। अब तक की जांच से ये सामने आया है कि फ्लाइंग स्कूल और डीजीसीए का केंद्रीय परीक्षा कार्यालय एवं उसकी लाइसेंस देने वाली शाखा के अधिकारी इस घोटाले के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। उन्हीं की मिलीभगत से ऐसा संभव हुआ है कि बिना साइंस लिए बारहवीं पास या बिना प्रक्रियाओं को पूरा किए उम्मीदवारों को पायलट बनने का लाइसेंस मिल गया। अब जबकि इस घोटाले की जांच हो रही है, खबर है कि डीजीसीए के पास कर्मचारियों की कमी इसमें बाधा बन रही है। जो कारोबार पिछले वर्षो के दौरान बीस फीसदी सालाना दर से बढ़ा है, उसमें ऐसी लापरवाही ने हजारों लोगों की जान को खतरे में डालने के साथ-साथ देश की आर्थिक विकास की उम्मीदों से भी विश्वासघात किया है।
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